ज्यादातर पुछेजाने वाले सवाल जवाफ - गुरु शिष्य संबाद

मेरि अध्यात्म क्षेत्र मे रुचि है, मै साधना सिखना चाहता हु, पर आजतक मुझे गुरु नहि मिले है, गुरु ढुणने कहाँ जाउ ?

सर्वप्रथम आप अपने इष्ट का निर्धारण करें और अपने इष्ट के साधक गुरु से आप दीक्षित हो और उसी मार्ग पर आगे बढ़े आप अपने उद्देश्य में अवश्य सफल होंगे अब प्रश्न उठता है कि इश्क का चयन कैसे हो तो उसका सबसे आसान तरीका है ।

आप यह अनुभव करें कि भगवान के किस स्वरूप के प्रति आपका विशेष आकर्षण है किस पर आपकी विशेष आस्था किसका नाम स्मरण करने से आपको विशेष शांति मिलती है वही आपके इष्ट हैं क्योंकि यह अनुभूति हमारे पूर्व जन्म की साधना का परिचायक है आप उसी उसी स्वरूप को अपना इष्ट मानकर आराधना प्रारंभ करें ।

और उस से प्रार्थना करें कि आप ही गुरु बनकर आ जाए हमने क्षमता नहीं कि हम आपको पहचान सके आप ही हमारे अंतर ह्रदय में भाव पैदा करना किस गुरु के रूप में मैं आ गया जहां जिस गुरु के पास पहुंचने से उसके सानिध्य से आपके मन में स्थिरता और शांति हो जाए ।

आप समझ लेना कि आपके इष्ट की कृपा से आप उस गुरु तक पहुंच गए हैं जो आपका यथा उचित मार्गदर्शन कर सकता है और वही उसी के मार्गदर्शन पर आप साधना करें और अपनी परम लक्ष्य को प्राप्त करें जय मां दुर्गे

गुरुजी रक्षा कवच ओर सुरक्षा घेरामे क्या अन्तर है?

सुरक्षा घेरा जमिन पर लगता है ।

रक्षा कबच शरीर पर लगता है ।

गुरुजी सुना है कि गाैमुखि नहि हाेने से मन्त्र जापका फल सायद दानव लेजाते है, मन्त्र जापका फल नहि मिलपाता ?

गलत बात है ।

गुरुजि मन्त्र जाप वालि माला अपने साथ रख सक्ते है ? जैसे गले मे पहन सक्ते है ? या अपने पुजन स्थान पर रखे ?

कुछ विशेष साधना मे नियम होता है तो पहनी जाती है नार्मल नही पहनी जाती वेसे जाप की माला गल मे नही पहनी जाती ।

गुरुजी हमारा गुरु मंत्र काेही बडा सिद्ध पुरुष पता लगासक्ता है क्या ? गुरुजी जैसे हमने माला पहनलिया ताे काेहि मालाके जरिए हमारा गुरुमंत्र जानसक्ता है क्या ?

जब तक तुम कोई क्लू यानि इशारा ना करो, जैसे अपने इष्ट का नाम बताना, मंत्र के अक्षरो की संख्या बताना, इऩसे सामने वाला अंदाजा लगा लेता है कि गुरूमंत्र क्या हो सकता है ।

गुरूजी ये समाज में लोग लॉक लगाने वाली बात बोलते है । उसके विषय में कुछ बताइये सिद्धियो का लॉक ?

गुरू लगा देता है ।

गुरुजी माेक्ष प्राप्ति का काेही मार्ग ताे हाेगा ?

गुरूमंत्र करो ।

गुरुजी माला जाप करते है ताे index finger काे टच क्याेनहि कियाजाता ?

वो मारण मंत्र मे काम आती है इसलिये ।

गुरूजी अप्सरा गंधर्व यक्ष की साधना में गुलाब की जगह दूसरे फूल चढा सकते है ?

हॉ ।

तो प्राथमिक पूजा विधि के अनुसार सबसे पेलहे पंचोपचार पूजन करना चाहिये या जप के बाद पंचोपचार पूजा देनी चाहिये ?

सबसे पहले हमेशा पूजन दो फिर जाप कराे ।

डाबर तन्त्र किलित है क्या ?

कुछ कीलित नही है हम कीलित बस ।

तामसिक साधना ना करे ताे सादविक से सबकुछ संभब है क्या ?

हॉ, बिना नुकसान के ।

गुरुजी शैब सम्प्रदाय ओर बैष्णब सम्प्रदाय का मार्ग अलग अलग है क्या ? या मंजिल एक हि है ?

मंजिल एक ही है ।

गुरुजी ८४ लाख याेनियाे का कैसे फैसला हाेता है जन्म लेना ?

तुम्हारे कर्मो से, चौरासी लाख मे गधे घोडे ही नही आते देवता यक्ष गन्धर्व भी आते है देवता बनना भी चौरासी का फेर है और गधा घोडा बनना भी ।

अगर कर्म दाेनाे हि प्रकारके है ताे क्या फिर भि ईन सभि याेनियाे से हाेकर गुजरना पडता है ?

हॉ जिसका कर्म प्रबल होगा पहले वो योनि फिर उसके बाद दूसरी ।

क्याेकि फिर हमे भि भुगतना पडताहै मृत्युके वाद बहुत बुरा हाेताहाेगा ना ?

नही अच्छा बुरा होना कर्मो पर है जैसे यहॉ सभी मनुृष्य है कोई अमीर कोई गरीब लेकिन है सभी मनुष्य ही, येसे ही वहॉ पर भूत प्रेत होते है ।

यानी तॉत्रिक की बुरी गति नहीं होती?

किसी की नही होती केवल बुरे कर्मो की बुरी गति होती है बुरे किये है तो होगी चाहे वो कोई हो ।

यानी मेरे कहने का मतलब था कि कोई पीर फकीर की सिध्दी के बल पर सात्विक तरीके से बडे से बडे भुत प्रेत का इलाज हो सकता है क्या गुरजी ?

हर चीज मे बल काम करता है भूत ताकत वर हुया तो नही होगा और देव ताकत वर हुया तो इलाज हो जायेगा ।

गुरुजी भुतकि वैराईटि हाेति है क्या ? उसकि ताकत किस आधारपर डिसाईड हाेति है ?

वैराइटी होती है लेकिन किस आधार पर होती है ये नही पता सायद कर्मो के आधार पर होती है ।

गुरुजी जिन्नात सिद्ध हाेनेपर अपनेकाे नुक्सान पहुचाते है क्या ? मतलब सिद्ध करने वाले काे ?

नहीकोई नही पहुचाता है नियम तोडे तो कोई भी छोडता नही है ।

गुरुजी एक चाचाजि है, मार्केट मे सधैंब आते है, लाेगाेकि पैसाेमे काम करते है, साईकल लगाकर बैठते है, ताे वह बतारहे थे कि, उन्हाेने जिन्ह कि सिद्धि किए थे, ओर उसने पता नहि किस बात पर उनके दाे लडके काे मारदिया, हमारे उम्र के थे ?

येसा ही होता है जब बाजार मे बैठ कर प्रचार करेगा तो और क्या होगा । याद रखो तंत्र पूर्ण रूप से गुप्त रखा जाता है ।

गुरुजी जिन्ह पर भराेषा किया जासक्ता है क्या ? क्याेकि मैने पढा है कि जिन्ह अपने साधक से कभि झुट भि बाेलदेते है अगर उसकाे काम नहि दिया ताे उसके बारेमे, बलकि हमजाद अपने साधक से कभि झुट नहि बाेलते ऐसा मैने पढा है, जिन्ह के भि अपने परिवार हाेते है ? उन्हे अपनि दुनियाँ छाेडकर आना पडता है क्या ?

हॉ सही है उनका परिवार है । जिन्न पर क्या सभी देवो पर भरोसा किया जा सकता है । रही झूठ की बात तो वो तो वक्त पर सभी बोलते है, रावण के खराब संमय पर सभी ने साथ छोड दिया था ।

गुरू जी सम्प्रदायै से दीक्षित होने पर ही साधना सफल होती है ?

हॉ आपको सम्प्रदाय का नाम नही देने के पीछे मेरा यही उद्देश है । तंत्र किसी की बापौती नही है । वेसे नाथ अघोर रामानंदी वैष्णव गिरि पुरी भारती ये सभी साधुओ के सम्प्रदाय है । ये उनके लिये है जिन्होने ग्रहस्थ छोड दिया है । लेकिन आज सब गलत हो रहा है । हर सम्प्रदाय अपने आप को बढाने के लिये ग्रहस्थी को दीक्षा दे रहे है ये गलत है ।

तुम ग्रहस्थी हो तो केसे नाथ केसे अघोरी, दीक्षा के समय पिंडदान करवाते थे मुंडन होता है नाम बदला जाता है क्यो क्योकि तुम ग्रहस्थी नही रहे अब मर चुके हो, दीक्षा के बाद का जीवन दूसरा होता है, नया होता ।

तुमे ग्रहस्थी रहना है तो मे तुमे सम्प्रदाय के नाम का ढोंग नही करवाना चाहता, तंत्र को कोई भी सीख सकता है । तुम साधक बन जाते हो बस तुम्हारा मुंडन नही होता । तुम्हारी पहचान नही छीनना चाहता मे । तुम जो हो जहॉ हो जैसे हो वही पर अपने इष्ट को समर्पित हो जाओ बस तुम साधक हो । इसलिये स्वतंत्र रहो क्योकि तंत्र किसी सम्प्रदाय ने खरीद नही रखा है ।

किसी सम्प्रदायै मे दीक्षित होकर तंत्र साधना करना बढे सौभाग्य की बात है । ग्रहस्थी होकर गलत बात है । जब सौप दिया तो सौप दिया । नही तो नही ।

इसल्ये मस्त रहो अपने परिवार के साथ हसते खिलखिलाते जीवन गुजारो क्योकि यदि परिवार नही तो इस दुनिया मे कुछ नही ।

गुरु जी नमन 👏 जय हो गुरुदेव 👏 पर गुरु जी अगर यह सब गृहस्त को नहीं दी जाती ताे जो आज गृहस्त के नाम पर अघोरी या गिरी या नाथ लगा के बैठे है उन्हें यह विद्या फलीभूत कैसे होती है ?

मेने कहा है ना कि तंत्र किसी की बापौती नही है । जो समर्पित हो जाता है । उनका घडा भर जाता है ।

भरने के लिये घडे को नीचे पानी मे डूबना पडता है । यानि जो जहॉ झुक जाता है प्रकृति उसे वही भर देती है ।

जि समझा गुरुदेब, अच्छे से समझा अब ।

ये समझना बिना प्रेम के खतरनाक होता है ज्ञान के साथ साथ मनुष्य को प्रेम भी आना चाहिये । जितना ज्ञान हो उतना ही प्रेम से भरो । नही तो बिनाप्रेम के ज्ञान तुमे अंहकार से भर देगा । जो गलत है । यानि बिना प्रेम का ज्ञान तुमे अंहकार से भर देता है ।

जितना भरो उतना झुकते चलेजाओ तो समझो कि ज्ञान आ रहा है । झुके बिना जो ज्ञान है वो बहुत खतरनाक होता है । वो एक दिन तुमे ले डूबेगा । जिस डाली पर फल होते है वो बिना फल वाली डाली से झुकी रहती है । झुके ना तो समझ लो कुछ गलत हो रहा है । झुकना कमजोरी नही प्रेम की निशानी होती है ।

नबरात्र मे नब देबियाे का पुजन कियाजाता है, ओर हम दस महाबिद्या कि भि उपासना ओर साधना करते है, ताे देबिके स्वरुप ९ है या १० ?

देवी और दसमहा विधा अलगअलग है ।

परम्ब्रम्ह राम ओर त्रिमुर्ति का संबन्ध क्या है गुरुजी ?

नही केवल उतना जितना तुम्हारा है ।

ओर अगर त्रिमुर्ति भि देब है ताे अन्य देब ओर त्रिमुर्ति मे क्या बस ईतना हि फर्क है कि त्रिमुर्ति हेड है ?

हॉ सही है ।

गुरु जी आपने एकबार कहा था कि देव भी इंसान से डरते हैं, तोए क्या इंसान भी अपने कर्मों से देव बन सकता है ?

भाई आप लोग समझते ही नही हो, इंसान ही देव बनता है । गधे घोडे बनता है भूत प्रेत बनता है । और वापस इंसान बनता है ।

जैसे हम किसी दूसरे लोक मे स्वर्ग मे भोग भोगने जाते है । प्रेत लोक मे प्रेत बनकर । यक्ष लोक मे यक्ष बनकर । येसे ही अभी भी हम केवल कर्मो को ही भोगने मुनष्य बने है ।

पृथ्वी लोक मे आये है कुछ दिन यहॉ रहेगे फिर किसी अन्य लोक मे अन्य रूप आकार मे रहेगे । ये सब येसे ही चलता रहता है अनंत काल सेचल रहा है ।

गुरुदेव आवाहन का अर्थ-किसी देवता को बुलाना होता है क्या ?

हॉ देवता को बुलाना ही आवाहन कहलाता है ।

गुरूजी हमारे अन्दर आत्मा कब आती है जब हम जन्म लेते है ?

नही मनुष्य के वीर्य मे जो शुक्राणु होता है वही आत्मा होती है ? जो स्त्री के अन्डे मे प्रवेश करके जीवन धारण करती है । अन्डा मृत होता है ।

लेकिन शुक्राणु के मिलन से वो जीवित हो जाता है । अन्डा प्रकृति और शुक्राणु ईश्वर कहलाता है । यही ईश्वर का प्रकृति के साथ मिलन कहलाता है जिससे नयी सृष्टि का जन्म होता है ।

गुरुजी तो मनुष्य की जो ऊर्जा होती है तो वो उसके वीर्य से ही आती है ?

हॉ शरीर मे अन्तिम रूप से वीर्य ही बनता है ।

मतलब हम जितना वीर्य बचाएंगे तो उतना ऊर्जा बढेगा ?

हॉ साधना मे ब्रह्मचर्य इसीलिये रखा जाता है ।

गुरूजि तो हमे अगर कोई साधना शुरू करनी है तो अगर हम उसके 2 दिन पहले से ब्रह्मचर्य रहेंगे तो साधना सफल होगी कि नही ?

क्यों कि अगर 2 दिन पहले कोई साधक संबंद बनाता है अपनी पत्नी के साथ तो उसकी ऊर्जा तो बोहोत कम होजाती होगी ना तो उसे सफलता मिलेगी की नही ?

तंत्र मे सफलता कई चीजों पर निर्भर करती है, अकेले ब्रह्मचर्य पर नही ।

गुरूजि अगर हम गुरुमंत्र का 21 माला 21 दिन प्रेत सिद्धि के लिए संकल्प लेके करेंगे तो क्या प्रेत आएगा ?

हॉ हो जायेगा, गुरू मंत्र से हर सिद्धी मिल सकती है, बस क्रिया बदलनी होगी ।

गुरूजि जो योगी ओर ऋषि मुनि होते है उन्हें हिमालय की बर्फ से ठंड क्यों नही लगती ?

शरीर मे कोशिका पायी जाती है उसके अन्दर एक माइट्रो कान्ड्रिया पाया जाता है, जो विद्युत का पावर हाउस होता है । नार्मल वो बिजली या कहो कि शरीर को जरूरत होती है ।

उतनी ही गरमी पैदा करता है जिससे शरीर का तापक्रम ठीक रहे । कभी कभी किसी कारन से वो खराब बो जाता है तो ज्यादा मात्रा मे गरमी पैदा करता है, जिसे बुखार आना कहते है ।

तो योगी लोग इस शक्ति पर नियंत्रण कर लेते है । और बर्फ मे रहते हुये उतनी गरमी पैदा करते है जितने की उने जरूरत होती है । कई योगी इस क्रिया को ज्यादा करते है तो बरफ के ऊपर बैठे रहने पर भी उनका शरीर गरमी से पसीने से तर बतर हो जाता है ।

मैं खुद साइंस स्टूडेंट हु पर येसी बात नही जानता था ?

जिस दिन तंत्र का साइंस अपनी ऑखो से देख लोगे, ये साइंस भूल जाओगे ।

गुरूजि हम साइंस में पड़ते है कि सबसे पहले जीवन पानी से जन्मा ओर सबसे पहले हम बंदर थे और करोर ओ साल बाद हम इंसान बने पर मैं इसे नही मानता हु ।

गुरूजि ये दुनिया मे तो सबसे पहले देवी देवता आये तो इसका सच क्या है ?

साइंस की विकास वाद की थ्योरी गलत है, डार्विन ने इसे जोड तोड कर पेश किया है, इस धरती पर इतने जीव है कि उने आपस मे जोडा जा सकता है, लेकिन केवल शारीरिक संरचना को, जबकि मनुष्य का आचार विचार स्वभाव रहन सहन, किसी भी तरह से मेल नही खाता ।

बन्दर तो छोडो नेपाल चीन के मनुष्य कभी भी लम्बे कद के नही हो सकते चाहे कितना विकास हो जाये । जैसे अन्य जीव है वेसे ही हम भी केवल एक जीव ही है, और कुछ नही ।

बस हमने भाषा सीख ली और उने जानवर कहने लगे, हम हमेशा से ही पृथ्वी पर रहे थे, हॉ विकास हुया है, हमारी रहन सहन का, खान पान का, व्यवहार का, सामाजिकता का, समाज का, लेकिन हम केवल मनुष्य से ही पैदा हो सकते है, बन्दरो से नही । जैसे अन्य जीव है वेसे ही हम भी केवल एक जीव ही है, और कुछ नही ।

इस दुनिया मे ये सा कभी नही होगा कि गधा विकास करते करते घोडा बन जाये । पहले तो साइंस ने कहा कि एक अमीबा व्हेल मछली जितना विशाल हो गया । फिर कहा कि अब वो घटने लगा है । हाथी की ऊचाई घट रही है।

मनुष्य की घट रही है । हम सायद फिर कुछ सालो मे अमीबा बन जायेंगे । लेकिन क्या जो अन्य जीव है वो क्यो नही बन रहे ।

पिछले हजारो साल के इतिहास मे एसी कोई योनि नही जो मनुष्य के देखते देखते किसी और मे बदल गयी है । और तो और बन्दर मनुष्य नही बने बन्दर ही रह गये । डार्विन की ये विकास वाद की थ्योरी का मे सख्त विरोध करता हू ।

गुरूदेव जो यानी देवी देवता ने सबसे पहले इंसान बनाया है जिसे हम आज है मैं भी हमेशा से यही सोच त था कि हम सब अलग अलग बने है ना कि बंदर थे पहले ?

नही हमें देवताओ ने नही बनाया, देवताओ को भी किसी ने बनाया है।

हमे उसी ने बनाया है, देवता भी एक योनि है केवल, हमारी तरह ही ।

तो हमारा धर्म तो कहता है कि आदि शक्ति ने दुनिया बनाई है ना ?

गलत है, दुनिया मे तीन सौ धर्म है और सबके देव है । और सब ये कहते है कि ये दुनिया उसके देव ने बनायी है । सब कल्पना करते है । और अपने देव को बडा चडा कर लिखा है सबने ।

तो तभी साई बाबा कहते है कि सबका मालिक एक है ना वो मालिक कौन है फिर ?

इस दुनिया मे जितने भी बल्ब है पंखे है कूलर है वो सब किससे चलते है, बिना बिजली चल सकते है क्या? नही ना, क्या बिजली दिखती है? नही,

यदि मेरे घर कोई पंखा चालू है तो वो बिजली घर से सीधा जुडा रहता है या नही, हॉ रहता है । और यदि मेरे गॉव के पंखे कूलर चल रहे है तो वो सब आपस मे जुडे रहते है या नही, हॉ जुडे रहते है ।

ये से ही हम सबके अन्दर जो बिजली है जिससे हम चल रहे है, हिन्दू मुस्लिम सिख सभी वो बिजली का नाम ईश्वर है, कोई उसे खुदा कहता है, कोई कुछ और, लेकिन हम सब उस एक बिजली से ही चल रहे है, जिसे शास्त्रो मे चेतना कहा गया है,

वो चेतना तुम मे है मुझ मे है राम मे है कृष्ण मे है, चीटी मे है हाथी मे है, सब मे बराबर होती है, वो कम ज्यादा नही होती, उस चेतना को ही ईश्वर कहा जाता है, सब उसी से जुडे है, सब उसी से पैदा है, सब उसी से स्थित है, सब उसी मे लीन हो जायेंगे । वही है सबका मालिक एक ।

जैसे सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का भगवान बिजली होती है, ट्रान्सफार्मर तो केवल उसे नियत्रित करते है । अब कोई उस ट्रान्सफार्मर को ही भगवान मान ले तो क्या करें । ये से ही चेतना ही ईश्वर है । देवता तो केवल इसे नियंत्रित करते है, लेकिन लोगो ने देवताओ को ईश्वर मान लिया है ।

देवता कौन है ?

देवता एक योनि है बस, जैसे गधे घोडे मनुष्य चीटी हाथी, सब अलग अलग योनि है, येसे ही जिन्न भूत प्रेत यक्ष गन्धर्व देवता राक्षस पिशाच ।

ये सब भी अलग अलग योनि है । ये से ही चेतना ही ईश्वर है । देवता तो केवल इसे नियंत्रित करते है । लेकिन लोगो ने देवताओ को ईश्वर मान लिया है ।

ये सब भी अलग अलग योनि है । सबकी दुनिया अलग है, खानपान अलग है, रहन सहन अलग है, सब कुछ अलग है ।

गुरुदेव घी जाम जाता है और बाती बुझने के चांस रहते हैं तिल के तेल का दीपक जला सकते हैं । और पूरे साधना काल में दीपक जलता रहना चाहिए ?

घी मे खडी बाती लगाओ, हॉ जलना चाहिये ।

क्यूँकि अगरबत्ती तो 30 मिनट ही जलती है । और दीपक मिट्टी का यही पीतल का भी जिसमे हम पूजा की ज्योति जलाते हैं use कर सकते हैँ ?

हॉ कर सकते लेकिन फिर से पूजा की ज्योति नही जला सकते है ।

लोकपाल दिकपाल और नवग्रह का पूजन तो नही करना ?

जिसका करना है वो पोस्ट मे लिखा होता केवल उनी का करो फालतू मत सोचा करो ।

सभी देवों के लिए सफेद मिठाई चल जाएगी ? और सबको एक एक पीस प्रत्येक दिन देना है ?

हॉ चल जायेगी ।

साधना काल तक अपने डेली के नित्य कर्म जैसे ऑफिस जाना शेविंग नाखून काटना खाने मैं कोई परहेज करना आदि कुछ विशेष हो ?

नाखून काट सकते है बाल काट सकते है । मॉस मदिरा अंडे नही खाने । किसिभि तरह का नशा नहि करना ।

स्फटिक की माला है मेरे पास उसी से जाप कर लूँ ?

हॉ स्फटिक से ही करने है अप्सरा के जाप । अर्पणा का शंख माला से किया जाता है ।

और प्रत्येक दिन 21 माला पूर्ण होने के बाद सब देवों और अप्सरा को उनका पूजन उनके दाएँ और अप्सरा के बाएँ हाथ में समर्पित करना है ?

किसी को समर्पित नही करना ।

और सबको विदा भी करना है ?

हॉ कर लेना विदा ।

अपना आसन उठा के वहां बिस्तर बिछा के सो सकता हूँ ?

हॉ सो सकते हो चेन्जिंग करके ।

माला जप होने के बाद खाना पीना दूसरी जगह खा कर फिर अपने रूम में कपड़े चेंज करके सो सकता हूँ ?

हॉ सो सकते हो चेन्जिंग करके ।

शाम को ऑफिस से आने के बाद स्नान करना जरूरी तो नही और अंडर गारमेंट चेंज करना जरूरी तो नहीं ?

हॉ जरूरी है रात को नहाकर ही साधना करनी है । साधना के समय साधना के कपडे पहने जाते है ।

साधना के पहले दिन ही संकल्प लेना है या हरदिन? संकल्प किस तरीके से लेना है कृपया ये भी बताइए ?

पहले दिन ले लेना संकल्प, तरीके के लिये वीडियो देखो मेरी ।

गौमुखी पीले कलर का चल जायगा ?

हॉ चल जायेगी किसी भी तरह का होगी गौ मुखी तो ।

साधना काल में एक वस्त्र ही daily पेहानु और पूजा के बाद उतार के रख दूँ ?

हॉ सही है ।

रूम में प्लास्टर नहीं है, और समान बहुत है उससे कोई दिक्कत तो नहीं है ?

प्लास्टर से कोई मतलब नही है, सामान होने से कोई मतलब नही, बस रूम में जगह होनी चाहिये कम से कम पॉच बाई पॉच फुट की ।

साधना के दौरान led बल्ब जला ले या सिर्फ़ दीपक की रोशनी ही बहुत है ?

साधना के दौरान केवल दीपक जला लेना, कैसा भी बल्ब नही जलाया जाता है साधना के दौरान ।

अभी नया हूँ इस फील्ड में इसलिए गुरुदेव हर छोटे बड़े जो डाउट है पूछ रहा हूँ, कृप्या मार्गदर्शन करें ?

सभी डाउटो के लिये ब्लॉग पढ लिया करो, सब क्लियर हो जायेंगे डाउट ।

गुरुजी बसिकरण के वाद ब्यक्ति मे कैसे परिवर्तन आते है ? मतलब जिसने जिसके लिए कियागया है उसके लिए बसिभूत ब्यक्ति के कैसे बदलाब देखनेकाे मिलता है ?



निर्भर करेगा करने वाला कौन है, क्या वशिकरण मांत्रिक किया है ?

या तांत्रिक शक्ति द्वारा किया है ?

या खिलाई पिलाई द्वारा किया है ?

सबसे बड़ा लक्षण होता है जिस व्यक्ति को वशीकरण किया गया है जिस पर वशीकरण चलाया गया है वह हमेशा किसी एक व्यक्ति के प्रति आकर्षित होता है ।

मोहित होता है उसी की बातों में आता है हर समय उसी का ध्यान उसे रहता है हर समय उसी की बातें करता रहता है ।

किसी और काम में उसका मन नहीं लगता यदि शादीशुदा होगा तो घर में आपसी मतभेद होंगे पत्नी के साथ ।