व्रत उपवास की विधि Vrat Upasana Ki Vidhi


व्रत और उपवास हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण हैं। ये विशेष दिन भक्तों द्वारा देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए रखे जाते हैं। व्रत या उपवास का मतलब समाधान, भक्ति भाव, तीर्थ यात्रा और भगवान के करीब जाना होता है।

व्रत और उपवास हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण हैं। ये विशेष दिन भक्तों द्वारा देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए रखे जाते हैं। व्रत या उपवास का मतलब समाधान, भक्ति भाव, तीर्थ यात्रा और भगवान के करीब जाना होता है।

व्रत और उपवास हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनके बीच अंतर होता है:


व्रत (Vrat):व्रत का अर्थ है संकल्प लेना और उसका पालन करना।
व्रत में भोजन किया जाता है।
व्रत करने से मनुष्य की अंतरात्मा शुद्ध होती है और ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति और पवित्रता में वृद्धि होती है।


उपवास (Upvas):उपवास का अर्थ है परमात्मा का ध्यान लगाना, उनकी जप-स्तुति करना।
उपवास में निराहार रहना पड़ता है, केवल एक समय फलाहार किया जाता है।
उपवास शारीरिक शुद्धि का साधन होता है।

व्रत और उपवास दोनों ही हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण हैं, और इनका पालन आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है ।

यहां कुछ प्रसिद्ध व्रतों की सामान्य विधियां हैं:

नवरात्रि व्रत: नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। नौ दिन तक व्रत रखने के बाद, नौ देवियों की पूजा की जाती है।

करवा चौथ: यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु के लिए करती हैं। इस दिन व्रत रखकर विशेष प्राणियों की पूजा की जाती है।

गणेश चतुर्थी: इस व्रत के दौरान भगवान गणेश की पूजा की जाती है। विशेष रूप से लोग गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं।

करवाचौथ व्रत: यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु के लिए करती हैं। इस दिन व्रत रखकर विशेष प्राणियों की पूजा की जाती है।

श्रावण सोमवार व्रत: श्रावण मास के सोमवार को भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखकर शिवलिंग की अभिषेक की जाती है।


आज मे व्रत उपवास रखने के बारे मे बता रहा हू
हम सभी ने जीवन मे कभी ना कभी किसी दिन व्रत या उपवास किया होगा

चाहे वो मंगल वार का हो या सोमवार का या किसी तिथि विशेष का

हम लोग केवल व्रत के एक सामान्य नियम का पालन करते है जैसे खाना ना खाने
या सफेद नमक ना खाने

और सामान्य पूजा कर देते है बस हो गया व्रत

और हम चाहते है कि हमारी इच्छा पूरी हो

केवल एक समय भूखे रहने से इच्छा पूरी होती तो फिर बात ही क्या थी
हमारे यहॉ
बहुत लोग भूखे सो जाते है

वो तो अब तक जाने क्या बन चुके होते फिर



क्या करें

व्रत रखने के लिये सुबह जल्दी जागकर नहाधोकर फ्री हो

जिस देव का व्रत रखना हो उसकी पूजा की सामग्री इकट्ठा करें

फिर देव का पूजन करें
और व्रत का संकल्प लें
व्रत में संकल्प का विशेष महत्व है
हाथो मे चावल के दाने थोडा पानी लेकर बोले

मै अपना नाम हरेश कुमार पिता का नाम  स्वर्गीय गंगाराम जी का पुत्र गुरूजी का नाम
गिरीश गुरू का शिष्य इस जल को और दशो दिशाओ को साक्षी मानकर
मै आज मंगल वार का जितना समय तक रहे कल सुबह तक जो भी इच्छा हो बोले  अपने परिवार की रक्षा के  लिये जलाहार , फलाहार , निराहार , एकसमय , दुग्धाहार , मौन व्रत जैसा व्रत करना चाहे साफ साफ बोले
व्रत कर रहा हू
मेरा व्रत निर्विध्न पूर्ण हो

येसा बोलकर हाथो के जल को भूमि पर या किसी पात्र मे गिरा दें


फिर सारे दिन प्रेम से शान्ति से निकालें
दैनिक कार्य करते रहे
अपने इष्ट का मनन करते रहे

जैसा संकल्प लिया है उसका पालन करें


दूसरे दिन व्रत का पारण करने के लिये सुबह नहा धोकर पूजा करके जल हाथ मे लेकर वापस से बोलें

मै हरेश कुमार स्व गंगाराम का पुत्र गिरीश गुरू का शिष्य कल मेने जो मंगलवार को परिवार की सुरक्षा के लिये जो मेने फलाहार व्रत का संकल्प लिया था वो मै पूर्ण कर रहा हू
हनुमान जी मेरे इस व्रत के फल से मेरे परिवार की रक्षा करें मै व्रत का फल हनुमान जी को समर्पित करता हू

येसा बोलकर जल को जमीन पर गिरा दें


बस आपका व्रत पूरा हुया

यदि आपने नियम रखा है तो उसका फल आपको अवश्य मिलेगा

व्रत मे सारा खेल संकल्प का है
बिना संकल्प भूखे मरने से कुछ नही होगा

व्रत के दिन जब तक पूजन ना हो जाये आप कुछ भी खा पी नही सकते चाय भी नही


व्रत वाले दिन ब्रह्मचर्य धारण करें

जमीन पर सोये

शराब मॉस का सेवन ना करें

यदि व्रत जलाहार , निराहार लिया है तो कुछ भी खाना पीना नही है चाय भी नही

लडाई ,झगडा किसी को गाली देना व्रत के दिन शोभा नही देता

अकारण क्रोध भी नही करना चाहिये


ये सामान्य नियमो का पालन करके आप व्रत कीजिये आपकी इच्छा पूरी होगी

कुछ जानकारी चाहिये तो कॉल करके पूछ सकते है

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