हनुमान साधना कि पूर्ण विधि Hanuman Sadhana Ki Purna Sadhana Vidi


आज मे आपको भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी की साधना दे रहा हू
ये साधना अपने आप मे बहुत रहस्य समेटे हुये है
इस साधना के बाद आपको हनुमान जी की पूर्ण कृपा प्राप्त हो जायेगी

अनुष्ठान पूर्ण मन से किया तो दरसन भी हो सकते है
नही तो कृपा तो मिलेगी ही मिलेगी
साधना के दौरान कुछ डरावने अनुभव भी हो सकते है जिनसे डरना नही चाहिये

जो केवल एक भ्रम के सिवा कुछ नही होते




हनुमानजी के रहस्य

हनुमानजी, भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महापुरुष के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनके बारे में कई रहस्य और अनोखी बातें हैं:

  1. चारों युगों में उजियारा: हनुमानजी के परताप से जगत में उजियारा है। वे आज भी धरती पर विचरण करते हैं और अपने भक्तों की सहायता करते हैं।

  2. शक्तियों की याद: हनुमानजी को ऋषियों ने श्राप दिया था कि वे अपने शक्तियों को भूल जाएंगे, परंतु उचित समय पर उन्हें याद आ जाएगी।

  3. 108 नाम: हनुमानजी के 108 नामों में भी रहस्य है। इन नामों का जप करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।

  4. बंदर थे?: कुछ लोग उन्हें बंदर मानते हैं, परंतु वे वानर जाति के थे।

  5. शक्तियों का उपयोग: हनुमानजी की शरण में जाने से सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।



हनुमान जी हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। उन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है क्योंकि वे वायु देवता के पुत्र हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:
  • जन्म: हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। उनकी माता का नाम अंजना और पिता का नाम केसरी था ।

  • गुण: हनुमान जी ब्रह्मचारी थे और उनके ब्रह्मचर्य के समक्ष कामदेव भी नतमस्तक थे। उन्होंने अष्ट सिद्धियों और सभी नौ निधियों की प्राप्ति की ।

  • रामायण में भूमिका: हनुमान जी रामायण में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए प्रमुख पात्रों में प्रधान हैं। उन्होंने राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया ।

  • अवतार: हनुमान जी का अवतार भगवान शिव की भक्ति के लिए हुआ था। उन्हें भगवान शिव के ११वें रुद्रावतार माना जाता है ।

  • शक्तियां: हनुमान जी को अपार शक्तियां मिलीं, जिनमें अष्ट सिद्धियां और सभी नौ निधियां शामिल हैं ।

इन गुणों और कथाओं के माध्यम से हनुमान जी हमें ज्ञान, भक्ति, बल, बुद्धि, और सेवा की महत्वपूर्ण शिक्षाएं देते हैं।




साधना विधि

ये साधना किसी एकांत हनुमान जी के मन्दिर मे करना सबसे उपयुक्त होता है
येसा ना हो तो किसी एकांत पीपल के नीचे बैठकर ये साधना करनी चाहिये
यदि यह भी सम्भव ना हो तो घर के किसी एकांत कमरे को साफ शुद्ध करके
ये साधना कर सकते है

याद रखे साधना काल तक उस कमरे मे कोई दूसरा व्यक्ति प्रवेश ना करे

लाल रंग के वस्त्र या सिन्दूरी रंग के वस्त्र आसन का प्रयोग करे
साधना किसी भी मंगल से शुरू करे रात दस बजे के बाद
नहा धोकर

उत्तर मुख होकर बैठे
लाल मूगे की माला या तुलसी की माला से जाप करें
सर्वप्रथम प्राथमिक पूजन करें
गुरू गणेश इष्ट कुल देव पितर का पंचोपचार पूजन करें
राम सीता का पूजन करें
सुरक्षा कवच से अपने चारो ओर घेरा खींच लें

चालीस दिन या 21 दिन जितने दिन साधना करें उतने दिन का संकल्प लेले


मन्दिर मे करे तो मूर्ति का पूजन करे
घर मे करे तो तस्वीर हो सके तो लाल मूर्ति हनुमान जी की लेकर आये
बैठी हुयी

हनुमान जी का आवाहन करें


पूजन दें
धूप दीप सरसो के तेल का जलाये , चन्दन , सिन्दूर से तिलक लगाये हनुमान जी का और स्वंय का भी

मिठाई मे बूदीं के लड्डू  तुलसी दल दें
एक पान सीधा एक पान उल्टा रखकर उस पर लौग इलाइची बताशा कपूर पर रखकर दें और उसे जला दें
पुष्प इत्र का फाया अवश्य दें

प्रार्थना करें

मंत्र का पॉच हजार की संख्या मे जाप करें

जाप के बाद वही कमरे मे सो जाये

सुबह उठकर नहा धोकर फिर पॉच माला का जाप करें
पूजन देकर

येसा नित्य संकल्पित दिनो तक करें
तो हनुमान जी की कृपा साधक को मिल जायेगी

साधक ये याद रखे इस साधना मे शुद्धि का विशेष ध्यान रखें

घर मे रजस्वला स्त्री के पास ना जाये
ब्रह्मचर्य का पूरण पालन आवश्यक है
जमीन पर सोना

शराब और मॉस का सेवन नही करना है

सिद्धि प्राप्ति के बाद लोगो का भला करें
बुरा ना करें
वरना परिणाम स्वंय को ही भुगतने होगें


ॐ नमः शिवाय

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