गुरू के प्रति दो शब्द Guru Ke Prati Do Sabda

गुरू के प्रति दो शब्द Guru Ke Prati Do Sabda


अगर साधना के दौरान आपको भय लगे तो समझ लो कि अभी गुरू का पूरा  विश्वास नही किया है


वरना
गुरू के लाल को कैसा भय


अगर मन बार बार तर्क करे गुरू ने जो कह दिया उसे ना माने तो समझ लो अभी समर्पित नही हो


वरना गुरू के ज्ञान पर क्या शंका करना


साधना करते समय
यदि किसी शक्ति द्वारा खुद को नुकसान करने का भय सताये तो समझ लो कि अभी गुरू मे डूबे नही हो


वरना किसी शक्ति की क्या मजाल जो शिष्य को छू सके


जब गुरूमंत्र आपको छोटा और शक्ति हीन लगे तो समझ लो कि कुछ नही होने वाला फिर

शिष्य के लिये गुरू मंत्र से अधिक शक्तिशाली कोई मंत्र नही है
फिर चाहे वो गुरू मंत्र कुछ भी और कैसा भी किसी का भी हो



जब गुरू से मिलो तो येसा लगे कि किसी मनुष्य से मिलकर आये है तो समझ लो कि अभी गुरू से बहुत दूर हो


वरना गुरू के नाम लेने से शरीर मे शक्ति का संचार हो जाता है
शरीर मे ऊर्जा बनती है
मन पुलकित होता है
गुरू चरणो मे बैठकर ज्ञान मिले इससे बडा कोई सौभाग्य नही है

लेकिन यदि आप किसी मनुष्य से मिलते है तो आपकी साधना फलैगी नही क्योकि आपका गुरू नही है
है लेक्न आपने माना  नही है
ये मानने से चलता है
मानने वाले ने मूर्ति से विद्या सीख ली
ना मानने वाला वर्षो गुरू के समीप रह कर भी विद्या  नही पाता


क्योकि देह का मान सम्मान नही किया जाता
शिष्य के लिये गुरू ही भगवान है
जो गुरू से मुख मोड लेता है उससे उसकी विद्या,  शक्ति ,इष्ट सभी मुख मोड लेते है

गुरू से कपट करने वाले को भगवान भी माफ नही करते
येसे साधको के लोक परलोक दोनो बिगड जाते है


या तो किसी को गुरू बनाओ मत
बना लो तो निभाओ
नही निभा सकते तो उनसे छमा मॉगकर उनकी आज्ञा से उने सब बताकर
छोड दो
दिल को साफ रखो
मन मे गुरू के प्रति गलत भाव मत रखो
यदि येसे भाव आ जाये तो गुरू को बताओ
वो समाधान देगे
और आप गुरू निंदा के दोष से मुक्त हो सकोगे

यदि आप गुरू से सब कुछ सच बता देते है तो आपका इष्ट स्वतः ही प्रसन्न हो जायेगा बिना प्रयास के


जो दिल मे है उसे ज्योका त्यो कह देना ही सत्य बोलना है
बिना डरे बिना हिचक
स्वीकार करे और गुरू को बताये

क्योकि गुरू गुरू है
चाहे जैसे हो

 यह तन विष की बेलरी  गुरू अमृत की खान

शीश दिये जो गुरू मिलें तो भी सस्ता जान

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