नाभि दरसना अप्सरा साधना





ये अप्सरा बहुत सुन्दर मानी जाती है
इसकी नाभि बहुत सुन्दर बतायी गयी है


और ये अपना यौवन दिखाने के लिये नाभि का प्रर्दसन करती है

इसलिये नाभि दरसना कहा जाता है
इसका स्वभाव चंचल है
हमेशा खुश रहती है और अपने साधक को भी हमेशा खुश रखती है
इसकी कृपा से साधक को धन मान सम्मान मिलता है




साधना विधि


ये साधना शुक्रवार रात दस बजे सुरू की जाती है

नहा धोकर उत्तर मुख होकर बैठे लाल आसन पर
सामने लाल मखमल का आसन अप्सरा के लिये बिछाये

ये साधना आप प्रेमिका ,  पत्नी  रूप मे कर सकतेहै

संकल्प मे साफ साफ रूप का नाम लें जिस रूप मे करना हो उसे

उसके बाद  सामने थाली मे केसर की ढेरी बनाये
उसके पास घी का दीपक खडी बाती का लगाये
दीपक के घी मे थोडी केसर डाल दें

फिर गुलाब की अगरबत्ती जलायें


पहले गुरू गनेश इष्ट कुलदेव पितरो स्थानदेव इन्द्र देव आदि का पूजन कर लें
सभी से साधना मे सफलता का आशिर्वाद ले लें

फिर हाथ मे थोडी सी केसर चावल लेकर ऩाभि दरसना का आवाहन करें

और उने सामने आसन पर छोड दें

अप्सरा का पूजन करें ।
सबसे पहले वस्त्र दें
फिर केसर पानी मे घोलकर तिलक करें


श्रंगार की सामग्री  भेंट करें
गुलाब के चमेली के रात रानी के फूल मिल जाये तो भेंट करो
गुलाब की माला पहले दिन और अन्तिम दिन भेंट करें

गुलाब की अगरबत्ती दीपक दिखाये

काजूकतली की बरफी , मीठा पान केसर मिला कर भेंट करें


पानी दें पीने को


उसके बाद उससे प्रेम भरी बातें करें

और फिर मंत्र का स्फटिक माला से 21 माला का जाप करें

जाप मे अनुभूति होगी यही सफलता की निशानी है

जाप करके वही कमरे में सो जायें

ये क्रिया नित्य 21 दिन तक लगातार करें
21 वें दिन गुलाब माला तैयार रखे
अप्सरा जब प्रत्यक्ष हो जाप पूरा  करके माला गले मे डालकर
जीवन भर साथ रहने का वचन लेलें

ये साधना किसी को नही बताये
गुप्त रखें

लोगो का और अपना भला करें

अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करे


तंत्र मंत्र साधना सीखने के लिये सम्पर्क करें