अग्नि वैताल साधना Agni Betal Sadhana
वैताल साक्षात शक्ति का रूप है
और इसकी साधना बहुत भयकारी होती है
ये उच्च कोटि की साधना होती है
वैताल साधक बहुत कुछ कर सकनै की शक्ति से सम्पन्न हो जाता है
मे एक सोम्य साधना बता रहा हू वेसे तो वैताल की कोई साधना सोम्य नही है
लेकिन ये अन्य साधना की अपेक्षा काफी सोम्य है
वैतार बारह प्रकार के होते है
वैताल अलग अलग शक्ति विशेष मे पारंगत देव है
और इने सिद्ध करके उस विधा मे साधक पूर्ण निपुण हो जाता है
जैसे अग्नि वैताल की साधना करके साधक कही भी अग्नि लगा सकता है या बुझा सकता है
साधना विधि
मंगल वार कृष्ण पक्ष से शुरू करनी है
रात बारह बजे नहा धोकर किसी एकांत स्थान पर
काले कम्बल पर दक्षिण मुख होकर बैठे
काले कपडे पहन कर करे
सबसे पहले रक्षा कवच कर ले
प्राथमिक पूजन करे
फिर सामने घास फूस का ढेर रखे
मंत्र का ११ माला जाप करे
फिर इस मंत्र का जाप करते हुये साबुत उडद के 108 दानै को उस घास फूस पर फैके
एक बार मंत्र पढकर एक दाना फैकना है
साधना के बाद क्षमा मॉगे
घर आ जाये
ये क्रिया लगातार २१ दिन तक करे
२१ वे दिन खीर बनाकर साथ ले जाये
गुलाब की माला भी साथ ले जाये
मंत्र जाप के समय या उडद फैकते समय जैसे ही उस घास फूस के ढेर मे आग लगेगी वेसे ही वैताल जीभ निकाल कर हुंकार कर हाथ बढाये तो तुरन्त उसे खीर का दोना दे दे
फिर जैसे ही वो बात करने लगे तुम गुलाब माला उसके गले मे डाल दे
और उससे वचन लेले की तुम मेरे वश मे रहकर मेरा काम सिद्ध करना
साधना के बाद बैताल को जब भी याद करोगे वो तत्काल हाजिर होकर काम पूरा कर देगा
महाकाली तंत्र शक्ति साधना केन्द्र द्वारा जन हित मे जारी

